हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम में गगनयान
मिशन और तीन प्रमुख इसरो परियोजनाओं का उद्घाटन किया। यह भारत के
अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था, जो देश की
अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक होगा।
गगनयान मिशन:
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यह भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसके तहत
2024-25 में दो या तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400
किलोमीटर की ऊंचाई में पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा।
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मिशन की अवधि 3-7 दिन होगी।
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मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन
किया गया है:
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ग्रुप कैप्टन पी बालाकृष्णन नायर
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अंगद प्रताप
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अजीत कृष्णन
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शुभांशु शुक्ला
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LVM3
रॉकेट का उपयोग मिशन के लिए किया जाएगा।
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महत्वपूर्ण तथ्य:
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मिशन के लिए चुने गए चारों अंतरिक्ष यात्रियों
ने भारतीय वायु सेना में पायलट के रूप में कार्य किया है और विभिन्न प्रकार के
विमानों को उड़ाया है।
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वे कठोर शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से गुजर
रहे हैं,
जिसमें उड़ान सिमुलेटर, सेंट्रीफ्यूज और
हाइपो-बैरिक चैंबर में प्रशिक्षण शामिल है।
तीन प्रमुख इसरो परियोजनाएं:
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पीएसएलवी एकीकरण सुविधा (पीआईएफ): यह
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में स्थित है। यह PSLV रॉकेट के विभिन्न चरणों और उपग्रहों को एकीकृत करने के लिए एक अत्याधुनिक
सुविधा है।
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सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और
स्टेज टेस्ट फेसिलिटी (एससीआईईएसटीएफ): यह महेंद्रगिरि में
स्थित है। यह सेमी-क्रायोजेनिक इंजन और चरणों के परीक्षण के लिए एक अत्याधुनिक
सुविधा है।
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ट्राइसोनिक विंड टनल: यह
वीएसएससी में स्थित है। यह हाइपरसोनिक गति (ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक) पर
वायुगतिकीय परीक्षण करने के लिए एक अत्याधुनिक सुविधा है।
उद्घाटन का महत्व:
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गगनयान मिशन और इन तीनों परियोजनाओं का
उद्घाटन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
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यह भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को
बढ़ाने में सहायक होगा।
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यह वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास को
बढ़ावा देगा।
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यह युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में
करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
निष्कर्ष:
गगनयान मिशन और इन तीनों
परियोजनाओं का उद्घाटन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।
यह भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने में सहायक
होगा।
अतिरिक्त जानकारी:
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गगनयान मिशन पर 10,000 करोड़
रुपये से अधिक की लागत आएगी।
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इसरो ने मिशन के लिए कई नई तकनीकों का विकास
किया है,
जैसे कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जीवन रक्षक प्रणाली और पुन:
प्रवेश वाहन।
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भारत सरकार ने 2030 तक
अंतरिक्ष में एक स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।