भारत की एससीओ (SCO) अध्यक्षता: अवसरों का लाभ उठाने का मौका
भारत और आसियान देशों के बीच ‘एओआईपी’- ‘आईपीओआई’ के स्तर पर सहयोग
भारत में बिजली वितरण: सुधारों का अनुक्रमण
चर्चा में क्यों
विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2022 (द इलेक्ट्रिीसिटी (अमेंडमेंट) बिल, 2022/ईए2022) लोकसभा (संसद का निचला सदन) में 8 अगस्त, 2022 को पेश किया गया. इस विधेयक का उद्देश्य विद्युत कानून, 2003 (ईए2003) में संशोधन करना है, जिसके अंतर्गत भारत में विद्युत क्षेत्र का संचालन किया जाता है. ईए 2022 को बाद में संसद की ऊर्जा स्थायी समिति के पास भेज दिया गया, क्योंकि विपक्ष के अनेक सदस्यों ने इसको लोकसभा में पेश करने का विरोध किया. उनका आरोप था कि यह संविधान में दिए गए संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. ईए2022 का किसानों ने भी यह कहते हुए विरोध किया कि उन्हें आशंका है कि इसकी वजह से उन्हें बिजली पर मिलने वाली सबसिडी बंद हो जाएगी. इसी प्रकार श्रमिक संगठनों ने यह आशंका जताते हुए विरोध किया कि सरकार का यह फैसला इस क्षेत्र में अपने पसंदीदा कार्पोरेट लोगों के प्रवेश को सुगम बनाने के लिए लिया गया है और इससे उनकी नौकरियां प्रभावित होंगी.
महत्वपूर्ण बिन्दु
· बिजली के विषय को भारतीय संविधान की समवर्ती सूची (केंद्र और राज्यों के बीच साझा की गई जिम्मेदारी) के तहत रखा गया है बिजली का वितरण पूरी तरह से राज्य बिजली बोर्ड अर्थात एसईबी (अब डिस्कॉम) के माध्यम से राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
· विपक्षी दलों ने यह चिंता जताई है कि ईए2022 के माध्यम से केंद्र सरकार इस कानून के माध्यम से संविधान संशोधन करना चाहती है ताकि केंद्र केंद्र सरकार को राज्य सरकार के कुछ उपयुक्त अधिकार हासिल हो सके.
· ईए2022 ईए 2003 की धारा 42 में संशोधन करना चाहता है ताकि वितरण लाइसेंसधारी के वितरण नेटवर्क तक गैर-भेदभावपूर्ण खुली पहुंच को सुगम बनाया जा सके.
· ईए2002 का उद्देश्य ईए2003 की धारा 42 में संशोधन करना है, ताकि वितरण करने के लाइसेंसधारी के आपूर्ति नेटवर्क तक गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से ओपन एक्सेस को आसान बनाया जा सके. इससे पहले सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करने से हिचकिचाती थी क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें संरक्षण प्रदान करने का शक्तिशाली साधन उसके हाथ से निकल जाता. हालांकि अब सरकारें गरीबों के संरक्षण के बजाय कार्पोरेट्स का संरक्षण चाहती हैं और इसके लिए तरसती भी हैं, क्योंकि कॉरपोरेट धन और मीडिया चैनल, जिन्हें वे नियंत्रित करते हैं वे संरक्षण समान ही चुनावी परिणाम मुहैया करने में सक्षम है.
· सैद्धांतिक रूप से बिजली वितरण के क्षेत्र में ओपन एक्सेस लागू करने से अनेक कंपनियां इस क्षेत्र में उतर सकेंगी, ठीक उसी तरह जैसा मोबाइल सेवा कंपनियों के मामले में हुआ था. इस संशोधन को लेकर मध्यम और संपन्न वर्ग के लोगों में काफी उत्सुकता देखी गई है, जो राज्य विद्युत वितरण कंपनियों के स्थान पर कुशल निजी आपूर्तिकर्ता से बिजली लेना चाहते हैं.
· इस संशोधन को लेकर राज्य सरकारों की चिंता यह है कि उन्हें आशंका है कि, इस संशोधन के बाद केंद्र सरकार अपने पसंदीदा कार्पोरेट्स बिजली वितरण क्षेत्र में उतारकर अनेक राज्यों में उन्हें काम करने की अनुमति दे देगी. ईए2022 के माध्यम से वितरण कंपनी और वितरण लाइसेंसी के बीच का जो अंतर है उसे धुंधला अथवा अस्पष्ट कर दिया जाएगा. अर्थात् किसी भी कंपनी को वितरण क्षेत्र में उतरने के लिए केवल बिजली ट्रेड करने का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. इसके विपरीत वितरण लाइसेंसी को किसी विशेष क्षेत्र में बिजली वितरण की अनुमति हासिल करने के लिए राज्य बिजली नियामक आयोग की पैनी निगाहों और यथोचित प्रक्रिया का पालन करते हुए अपना लाइसेंस हासिल करना होता है.
· किसी ऐसे क्षेत्र में जहां विभिन्न वर्गों के ग्राहक रहते हो और जिनके ऊपर विभिन्न श्रेणियों की दर (टैरिफ स्लैब) लागू होती है, वहां अगर एक से ज्यादा आपूर्तिकर्ता होगा तो इससे कठिन प्रशासनिक और वित्तीय चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी.
· ईए2022 के तहत कम दबाव वाले ग्राहकों के स्तर पर ओपन एक्सेस देने का प्रस्ताव है. सैद्धांतिक रूप से इसका मतलब यह हो सकता है कि आपूर्तिकर्ता कंपनी शहरी इलाकों में संपन्न वर्ग की बस्तियों को तो आपूर्ति करने का निर्णय ले सकती हैं, लेकिन वे गरीब और कम आय वाले आवासों को हाशिए पर भी डाल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो वस्तुत: दो तरह के बाजार क्षेत्र तैयार होंगे, एक जिसमें उच्च श्रेणी के वाणिज्यिक बिजली लेने वाले शहर और दूसरे कम गुणवत्ता वाली सामाजिक बिजली वाला ग्रामीण क्षेत्र, जहां डिस्कॉम के पास आपूर्ति की जिम्मेदारी होगी.
· ईए2022 के अनुसार, बिजली आपूर्ति में कमी की स्थिति में एसईआरसी को यह अधिकार रहेगा कि वह बिजली की खरीद और बिक्री के लिए अधिकतम और न्यूनतम दर को तय करें. यह बहुवर्षीय टैरिफ आदेशों के खिलाफ होगा, जो बिजली दरों में आने वाली अस्थिरता को रोकने अथवा सीमित करने के लिए जारी किए गए हैं. ईए2022 में केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित रिन्यूएबल पॉवर पर्चेस ऑब्लिगेशन (आरपीओ) का यदि डिस्कॉम ने अनुपालन नहीं किया तो इसके लिए उस पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया गया है.
· इसके अलावा रिन्यूएबल पॉवर (आरई) के लिए ‘‘मस्ट रन’’ स्टेटस का प्रावधान, बिजली आपूर्ति की अतिरिक्त मांग न होने की स्थिति में भी यह सुनिश्चित करेगा कि बड़े कार्पोरेट्स के सोलर प्लांट्स से बिजली की निकासी आसानी से हो सके. यह लगभग ‘‘लो या भुगतान करो’’ (‘‘टेक और पे’’) के अनुबंध जैसा होगा, जिसकी वजह से पहले से ही वित्तीय परेशानी झेल रहे डिस्कॉम पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा.
· ईए2022 को उम्मीद है कि केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) केंद्र सरकार की नीतियां प्रभावी रूप से लागू करेगा, ऐसे में स्वायत्त रूप से काम करने वाले आयोग के काम के साथ समझौता होने की भी संभावना है. इसके अलावा यह एसईआरसी की उपयोगिता भी समाप्त कर देगा.
· यह संभवत: वितरण सुधारों पर नीति आयोग की एक रिपोर्ट का अनुसरण है, जिसमें नियामक कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप को सीमित करने के लिए राज्य बिजली नियामक प्राधिकरणों के ऊपर केंद्र सरकार की भागीदारी के साथ क्षेत्रीय बिजली नियामक आयोगों के निर्माण की सिफारिश की गई थी.
सुधार पहलों का अनुक्रमण
· बिजली उत्पादन का क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए ईए2003 के बाद खोला गया था. अब निजी क्षेत्र 39 प्रतिशत बिजली पैदा कर रहा है, जबकि उसकी तुलना में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत और राज्य सरकारों की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत ही है. ईए2022 में वितरण के निजीकरण का प्रावधान किया गया है, जिसमें कम प्रतिस्पर्धा और विनियमन होगा.
· लेकिन इन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए और इनका अनुक्रमण भी सही होना बेहद आवश्यक है. अधिकांश अध्ययनों ने साबित किया है कि निजीकरण से पहले विनियमन ढांचा तैयार कर प्रतिस्पर्धा की व्यवस्था की जानी चाहिए.
·
बिजली वितरण एक
नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर
इंडस्ट्री है, जिसे परंपरागत रूप
से ‘प्राकृतिक
एकाधिकार’ विशेषताओं के साथ रणनीतिक
रूप से
महत्वपूर्ण गतिविधि के रूप में
देखा जाता
है. ऐसे
में एसईआरसी
के माध्यम
से राज्य
के स्वामित्व
को उचित
कहा जा
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सियाचिन में भारत ने शुरू की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा
जापान-भारत समुद्री अभ्यास JIMEX 22 संपन्न
चर्चा में क्यों
जापान-भारत समुद्री अभ्यास 2022 का छठा संस्करण, जेआईएमईएक्स (JIMEX) 22 बंगाल की खाड़ी में संपन्न हो गया है. इसका सफल आयोजन भारतीय नौसेना द्वारा किया गया. इस अभ्यास की शुरुआत 11 सितम्बर को हुई थी, और इसका समापन 17 सितम्बर, 2022 को हुआ है.यह संस्करण भारत और जापान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ को भी प्रासंगिक बनाता है.भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित जापान-भारत समुद्री अभ्यास 2022 का छठा संस्करण, जेआईएमईएक्स 22 बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुआ
परिचय
इस अभ्यास का आयोजन JIMEX की स्थापना के 10 वर्ष पुरे होने पर किया गया था. JIMEX की स्थापना वर्ष 2012 में किया गया था. इसकी मदद से भारत और जापान के रिश्तों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी. इस अभ्यास की मदद से दोनों नौसेनाओं के बीच समझ और पारस्परिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा.
महत्वपूर्ण बिंदु
· इस अभ्यास का उद्देश्य इंटरआपरेबिलिटी को बढ़ाना देना साथ ही संचार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना है. साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सुरक्षित अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और व्यापार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था. हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर यह अभ्यास महत्वपूर्ण है.
· JIMEX 22 दोनों नौसेनाओं ने संयुक्त रूप से कुछ जटिल अभ्यासों के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा किया है. दोनों देशों की सेनाओं ने उन्नत स्तर के पनडुब्बी रोधी युद्ध, हथियारों का प्रयोग और वायु रक्षा अभ्यास में भाग लिया.
· किसने किया भारतीय दल का नेतृत्व: ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल संजय भल्ला ने भारतीय दल का नेतृत्व किया.
· भारत के तीन युद्धपोत हुए शामिल: इस अभ्यास में भारत की ओर से स्वदेश निर्मित तीन युद्धपोत सह्याद्री, पनडुब्बी रोधी युद्धपोत कदमत और कवरत्ती ने प्रतिभाग किया. इसके अतिरिक्त भारत का मिसाइल विध्वंसक रणविजय, फ्लीट टैंकर ज्योति और गश्ती पोत सुकन्या ने भाग लिया. साथ ही समुद्री गश्ती विमान और जहाज से उड़ान भरने में सक्षम हेलीकाप्टर ने भी हिस्सा लिया.
· जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स: जापान सेना के रियर एडमिरल हिराता तोशियुकी के नेतृत्व में, जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के इजुमो और ताकानामी जहाजों ने इस अभ्यास में भाग लिया.
· अभ्यास का यह संस्करण भारत और जापान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ को भी प्रासंगिक बनाता है.
· स्टीम पास्ट की मदद से विदाई: भारत और जापान की नौसेना टुकड़ियों ने स्टीम पास्ट के माध्यम से समापन अवसर पर एक दूसरे को विदाई दी है.