दक्षिण कोरिया का पहला मून ऑर्बिटर लॉन्च
चर्चा में क्यों
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दक्षिण कोरिया ने हाल ही में अपना पहला घरेलू
रूप से विकसित चंद्र ऑर्बिटर लॉन्च
किया. इस तरह दक्षिण कोरिया चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला सातवां देश बन गया.
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स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा लॉन्च किया गया ये उपग्रह ईंधन
को बचाने के लिए एक लंबा,
गोल चक्कर लगा रहा है.
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पहले
इसका प्रक्षेपण 27 जुलाई को निर्धारित किया गया था. बहरहाल स्पेसएक्स रॉकेट के रखरखाव के मुद्दे के कारण इसमें
देरी हुई.
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यदि मिशन सफल होता
है तो अमेरिका, रूस, चीन, जापान,
इज़राइल और भारत
के बाद दक्षिण कोरिया दुनिया का सातवां ऐसा देश बनेगा जिसने चंद्रमा पर खोज मिशन
भेजा है.
परिचय
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कोरिया पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (Korea Pathfinder Lunar Orbiter) या फिर दानुरी (Danuri) जिसका अर्थ कोरियाई भाषा में चंद्रमा का आनंद लेना
है, उसे फाल्कन 9 ब्लॉक 5 लॉन्च वाहन पर लॉन्च किया गया.
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यह
180 मिलियन अमरीकी डालर
का मिशन है और चंद्र अन्वेषण में दक्षिण कोरिया का पहला कदम है।
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इसमें
एक बॉक्सी, सौर-संचालित उपग्रह है, जिसे चंद्र सतह से सिर्फ 62 मील ऊपर स्लाइड करने
के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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वैज्ञानिक कम से कम एक साल के लिए निम्न ध्रुवीय कक्षा से भूगर्भिक और अन्य डेटा
एकत्र करेंगे।ऑर्बिटर को पानी
के बर्फ, यूरेनियम, हीलियम-3, सिलिकॉन और एल्यूमीनियम जैसे चंद्रमा पर मौजूद संसाधनों का सर्वेक्षण करने का भी काम सौंपा
जाएगा. ये भविष्य में चंद्रमा पर लैंडिंग करने की जगहों का चयन करने में मदद के लिए एक स्थलाकृतिक मानचित्र तैयार करेगा.
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गौरतलब है कि जून में दक्षिण कोरिया ने पहली
बार अपने स्वयं
के रॉकेट का उपयोग करके उपग्रहों को पृथ्वी के चारों ओर कक्षा
में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. उसका
पहला प्रयास पिछली
बार विफल हो गया था. ये प्रक्षेपण उपग्रह को कक्षा में पहुंचने में विफल
रहा था.
महत्वपूर्ण बिन्दु
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दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष एजेंसी कोरिया एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट (KARI) ने नासा
के साथ मिलकर
जुलाई 2014 में एक चंद्र ऑर्बिटर अध्ययन तैयार किया था.
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दोनों
एजेंसियों ने दिसंबर-2016 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया. जहां
नासा को एक विज्ञान उपकरण पेलोड,
दूरसंचार, नेविगेशन और मिशन डिजाइन के साथ चंद्र अभियान में सहयोग करना
था.
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दक्षिण कोरियाई वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्र ऑर्बिटर 2030 तक चंद्रमा पर कदम रखने के देश के अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा.
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यदि यह मिशन सफल होता है, तो यह चीन, भारत
और अमेरिका के अंतरिक्ष यान के साथ शामिल हो जाएगा जो पहले
से ही चंद्रमा पर कार्य कर रहे हैं।
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भारत,
रूस और जापान
भी 2022-2023 में नए मिशन
लांच करेंगे।
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अंतरिक्ष में इसरो का सबसे छोटा रॉकेट
चर्चा में क्यों
तंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की शृंखला में तैयार किया गया इस अवसर
पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
7 अगस्त, 2022 को ‘आज़ादी सैट’ ले जाने
वाले अपने सबसे
छोटे वाणिज्यिक रॉकेट ‘स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV)’ को लॉन्च करेगा।
परिचय
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यह सैटेलाइट देश भर के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं द्वारा बनाया गया था।
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आज़ादी सैट में 75 पेलोड
शामिल हैं।
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आठ किलो वजनी इस उपग्रह में 75 फेमटो
एक्सपरिमेंट, सेल्फी कैमरे
हैं जो अपने
सौर पैनलों और लंबी दूरी के संचार ट्रांसपोंडर की तस्वीरें क्लिक करेंगे।
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यह 8
किलोग्राम का क्यूबसैट है। 75 पेलोड में से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम
है।
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‘आज़ादी सैट’ में एक सॉलिड-स्टेट
पिन डायोड-आधारित विकिरण काउंटर भी शामिल है, जो अपनी कक्षा में आयनकारी विकिरण को मापेगा, साथ ही इसमें एक लंबी
दूरी के ट्रांसपोंडर भी है।
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इसरो
अंतरिक्ष किड्ज इंडिया द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का उपयोग
टेलीमेट्री और आजादीसैट के साथ कक्षा
में संचार स्थापित करने के लिए करेगा।
मुख्य बिंदु
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भारत
के ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के उत्सव को चिह्नित करने के लिए
SSLV ‘आज़ादी सैट’ नामक
एक सह-यात्री उपग्रह ले जाएगा।
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इसे अंतरिक्ष में तिरंगा फहराने के लिए लॉन्च किया जाएगा।
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इसे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।
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यह वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करेगा और युवा लड़कियों के लिए अपने करियर
के रूप में
‘अंतरिक्ष अनुसंधान’ को चुनने के अवसर
पैदा करेगा।
महत्व
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इसरो
यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम से कम वजन वाले कम पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए विकसित किया
है, जो पृथ्वी के अवलोकन और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने जैसे
अनुप्रयोगों के लिए बहुत अधिक मांग
में हैं।
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एसएसएलवी की पहली प्रदर्शन उड़ान का प्राथमिक पेलोड पृथ्वी अवलोकन उपग्रह माइक्रोसैट 2ए है। इसरो के अनुसार, बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्र की मांगों को पूरा करने
के लिए एक सप्ताह के भीतर
एक एसएसएलवी रॉकेट का निर्माण किया
जा सकता है।
चिराग योजना
चर्चा में क्यों
हाल ही में हरियाणा सरकार ने हरियाणा चिराग योजना शुरू
की है। इस योजना के तहत,
सरकार निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग
(EWS) के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी।
परिचय
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हरियाणा में 381 निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों में गरीब
बच्चों को दाखिला स्कूल शिक्षा विभाग
चिराग योजना के तहत कर रहा है। इससे पहले
यह दाखिले नियम-
134ए के तहत होते थे।
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अगर हरियाणा सरकार ने नियम- 134 ए खत्म कर चिराग योजना
की शुरुआत की है। योजना के तहत कक्षा दूसरी
से 5वीं तक प्रति छात्र 700 रुपये,
कक्षा छठी से आठवीं तक प्रति
छात्र 900 रुपये और कक्षा नौवीं से
12वीं तक प्रति
छात्र 1100 रुपये प्रति माह फीस सरकार
निजी स्कूलों को देती है।
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इस योजना के तहत मान्यता प्राप्त निजी
स्कूलों में उन विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाएगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से हैं।
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अभिभावकों की आय एक लाख
80 हजार रुपये या इससे कम हो। आय, परिवार पहचान
पत्र की वार्षिक सत्यापित आय से मान्य होगी। यह योजना सिर्फ राजकीय विद्यालयों में पढ़ने
वाले विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए है।
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चिराग
स्कीम के तहत छात्र दाखिले हेतु
केवल उसके वर्तमान खंड, जिसमें वह पढ़ रहा है। उसी खंड के मान्यता प्राप्त निजी
स्कूल में उपलब्ध सीटों पर दाखिले के लिए पात्र
होंगे।
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खंड में वह एक से अधिक विद्यालयों में भी दाखिले के लिए आवेदन
कर सकता है। दाखिले के लिए निजी स्कूलों की कक्षानुसार घोषित सीटों
का विवरण विभागीय वेबसाइट पर दर्शाया जाता है।
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जिस मान्यता प्राप्त निजी
विद्यालय को अभिभावक, छात्र द्वारा दाखिले के लिए आवेदन
पत्र दिया जाएगा
वह विद्यालय अभिभावक व छात्र को रसीद
अवश्य देगा। जिन विद्यालयों में सीटों
से अधिक आवेदन
प्राप्त होते हैं तो ऐसी स्थिति में अभिभावकों की उपस्थिति में ड्रॉ
निकाला जाता है।
महत्वपूर्ण बिन्दु
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चीराग
योजना के तहत सरकारी स्कूल के छात्र कक्षा 2 वीं से 12 वीं तक निजी स्कूल में दाखिला ले सकते
हैं ।
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योग्य
स्कूलों ने सरकारी स्कूलों के EWS छात्रों को 24,987 सीटें प्रदान कीं।
लेकिन केवल 1665 छात्रों ने इस योजना
को चुना है, जो कुल प्रदान की गई सीटों
का 6.66% है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे स्कूल पास में नहीं हैं और कई सुविधाएं सरकारी स्कूलों में ही उपलब्ध हैं।
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सफल छात्र का पिछले
सरकारी विद्यालय से स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लिया जाना अनिवार्य है
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विद्यालयों द्वारा दाखिल होने
वाले छात्रों की सूचना निदेशक सेकेंडरी शिक्षा व निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग
को दाखिले की तिथि से एक सप्ताह के अंदर-अंदर भेजनी होती
है
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, Jammer and Booster के निजी इस्तेमाल पर रोक
चर्चा में क्यों
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हाल ही में केंद्र सरकार ने जैमर,
नेटवर्क बूस्टर और रिपीटर्स के निजी
इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. दूरसंचार विभाग और संचार मंत्रालय ने 01 जुलाई, 2022 को वायरलेस जैमर
और बूस्टर/रिपीटर्स के निजी इस्तेमाल को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है.
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आपको
बता दें कि एडवाइजरी में कहा गया है कि केंद्र सरकार की इजाजत के बिना
जैमर, जीपीएस ब्लॉकर या अन्य सिग्नल जैमिंग डिवाइस का इस्तेमाल अवैध है. निजी तौर पर इनकी खरीद-बिक्री पर भी पूरी
तरह से रोक लगा दी गई है.
परिचय
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मोबाइल सिग्नल बूस्टर / रिपीटर एक प्रकार का एम्पलीफायर है, जो स्पष्ट रूप से मोबाइल फोन सिग्नल रिसेप्शन को बेहतर
बनाने हेतु उपयोग
किया जाता है.
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हालांकि,मोबाइल फोन बूस्टर का अनधिकृत उपयोग
विपरीत रूप से हस्तक्षेप कर सार्वजनिक दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता और कवरेज
को खतरे में डालकर बाधित कर सकता है.
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बता दें सरकार के इस ठोस कदम उठाने के बाद इन उपकरणों का दुरूपयोग भी अब नहीं होगा.
महत्वपूर्ण बिन्दु
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एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि भारत में सिग्नल जैमिंग उपकरणों का विज्ञापन, बिक्री, वितरण, आयात या किसी साइट पर बिक्री हेतु लिस्ट
करना गैरकानूनी है.
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सिग्नल बूस्टर/रिपीटर के संबध में यह कहा गया है कि लाइसेंस प्राप्त दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति/संस्था द्वारा मोबाइल सिग्नल रिपीटर/बूस्टर को रखना, बिक्री करना
या उपयोग करना
गैरकानूनी है.
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दूरसंचार विभाग ने कहा कि सेलुलर सिग्नल जैमर, GPS blocker या अन्य सिग्नल जाम करने वाले
उपकरण आम तौर पर अवैध हैं.
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सरकार
इसके उपयोग हेतु
विशेष रूप से अनुमति देती है. लेकिन इन उपकरणों की खुली ऑनलाइन बिक्री से चिंतित, विभाग ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वायरलेस जैमर की बिक्री हेतु चेतावनी दे दी है.
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गौरतलब है कि दूरसंचार विभाग के मुताबिक निजी क्षेत्र के संगठन या व्यक्ति भारत में जैमर
की खरीद और उपयोग नहीं कर सकते हैं.