गुप्तेश्वर वन ओडिशा का चौथा जैव
विविधता संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। यह घोषणा राज्य सरकार द्वारा की गई थी। मयूरभंज जिले में स्थित यह वन 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह वन विभिन्न प्रकार के
वनस्पतियों और जीवों का घर है, जिनमें शामिल हैं:
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स्तनधारी: हाथी, बाघ, तेंदुआ, गैंडा, हिरण, भालू, जंगली सूअर,
लोमड़ी, भेड़िया, बंदर,
आदि।
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पक्षी: मोर, तोता, बाज, कबूतर, उल्लू, आदि।
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सरीसृप: सांप, छिपकली, कछुआ, मगरमच्छ,
आदि।
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उभयचर: मेंढक, टोड, आदि।
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कीट: तितली, मधुमक्खी, चींटी, आदि।
यह क्षेत्र कई आदिवासी
समुदायों का भी घर है जो सदियों से इस वन पर निर्भर रहे हैं। इन समुदायों में
शामिल हैं:
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खोंड
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सॉंवता
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जुआंग
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भुईयाँ
जैव विविधता संरक्षित
क्षेत्र घोषित किए जाने से इस वन को संरक्षण मिलेगा और यह सुनिश्चित होगा कि आने
वाली पीढ़ियां भी इसका आनंद ले सकेंगी।
गुप्तेश्वर वन के कुछ लाभ:
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वनस्पतियों और जीवों की विविधता का संरक्षण: यह वन
विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों का घर है, जिनमें कई
लुप्तप्राय प्रजातियां भी शामिल हैं। जैव विविधता संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने
से इन प्रजातियों को संरक्षण मिलेगा और उनकी संख्या में वृद्धि होगी।
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आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका: यह वन
कई आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। जैव विविधता
संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने से इन समुदायों को वन संसाधनों का स्थायी उपयोग
करने में मदद मिलेगी।
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पर्यटन: यह वन पर्यटन के लिए एक
लोकप्रिय गंतव्य बन सकता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और
रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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जलवायु परिवर्तन: यह वन
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है। वन कार्बन डाइऑक्साइड
को अवशोषित करते हैं और ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करते हैं।
उदाहरण:
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हाथी: गुप्तेश्वर वन हाथियों
के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। जैव विविधता संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने से
हाथियों के शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकने में मदद मिलेगी।
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आदिवासी समुदाय: जैव
विविधता संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने से आदिवासी समुदायों को वन संसाधनों का
स्थायी उपयोग करने में मदद मिलेगी। वे वन से फल, सब्जियां,
जड़ी-बूटियां और अन्य वन उत्पाद इकट्ठा कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
गुप्तेश्वर वन ओडिशा के
लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। जैव विविधता संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने से इस
वन को संरक्षण मिलेगा और यह सुनिश्चित होगा कि आने वाली पीढ़ियां भी इसका आनंद ले
सकेंगी।