38वां राज्य
दिवस:
हाल ही में, अरुणाचल
प्रदेश ने अपना 38वां राज्य दिवस मनाया। 1987 में भारत का 24वां राज्य बनने के बाद, यह राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को संजोते हुए, विकास के पथ पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, राज्य के लोगों ने अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाया और भविष्य के लिए अपनी
आकांक्षाओं को व्यक्त किया।
इतिहास:
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अरुणाचल प्रदेश का इतिहास प्राचीन काल से ही
ज्ञात है।
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यह क्षेत्र विभिन्न आदिवासी समुदायों का घर
रहा है,
जिनकी अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराएं हैं।
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19वीं शताब्दी में, ब्रिटिशों ने इस क्षेत्र पर
नियंत्रण स्थापित किया और इसे "नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी" (NEFA)
नाम दिया।
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1972
में, NEFA को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
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20
फरवरी 1987 को, NEFA को
पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और इसका नाम बदलकर "अरुणाचल प्रदेश" कर
दिया गया।
राजनीतिक एवं सामाजिक विकास:
राजनीतिक:
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राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद, अरुणाचल
प्रदेश ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रगति की है।
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एक स्थिर लोकतंत्र स्थापित हुआ है, जिसमें
सभी नागरिकों को राजनीतिक भागीदारी का समान अवसर प्राप्त है।
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राज्य विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं का
प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है।
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सामाजिक:
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राज्य सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य,
और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया है।
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साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विशेष रूप
से महिलाओं और आदिवासी समुदायों में।
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स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार हुआ है, जिसके
परिणामस्वरूप शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी आई है।
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सड़कों, पुलों, और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं में महत्वपूर्ण विकास हुआ है।
आर्थिक विकास:
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अरुणाचल प्रदेश में कृषि, पर्यटन,
और हस्तशिल्प जैसे कई उद्योगों में विकास की क्षमता है।
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राज्य सरकार ने इन उद्योगों को बढ़ावा देने
के लिए कई पहल की हैं,
जिनमें शामिल हैं:
कृषि:
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"कृषि के लिए सभी" योजना-किसानों को आधुनिक तकनीकों और उपकरणों से लैस
करना, उनकी आय दोगुनी करना।
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पर्यटन:
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"अरुणाचल प्रदेश को पर्यटन का गंतव्य बनाना" योजना - पर्यटकों की
संख्या दोगुनी करना, राज्य के प्राकृतिक और सांस्कृतिक
संसाधनों का विकास करना।
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हस्तशिल्प:
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हस्तशिल्पियों की आय में वृद्धि करना, उन्हें
अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच प्रदान करना।
चुनौतियाँ:
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भौगोलिक:
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पहाड़ी राज्य होने के कारण, विकास
कार्य करना मुश्किल है।
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दुर्गम क्षेत्रों में पहुंच और बुनियादी
सुविधाओं का विकास एक चुनौती है।
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आर्थिक:
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राज्य की अर्थव्यवस्था अभी भी विकसित हो रही
है।
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गरीबी और बेरोजगारी प्रमुख चिंताएं हैं।
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सामाजिक:
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आदिवासी समुदायों का सामाजिक-आर्थिक विकास एक
महत्वपूर्ण चुनौती है।
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शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में असमानताएं
मौजूद हैं।
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सुरक्षा:
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चीन के साथ सीमा साझा करने के कारण, सुरक्षा
एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
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सीमा पर तस्करी और आतंकवाद जैसी गतिविधियों
को रोकना एक चुनौती है।