चर्चा में क्यों
हाल ही में विश्व
जैव ईंधन दिवस
(World Biofuel Day) मनाया
गया । यह दिन पारंपरिक जीवाश्म ईंधन
के विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधन के महत्व के बारे
में जागरूकता बढ़ाने और जैव ईंधन
क्षेत्र में सरकार
द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों को प्रकाश डालने के लिए मनाया जाता
है। जैव ईंधन
का विकास स्वच्छ भारत अभियान (Swach Bharat Abhiyan) और आत्मनिर्भर भरत अभियान (Atmanirbhar Bharat Abhiyan) जैसे योजनाओं के साथ-साथ किया
जा रहा है। विश्व जैव ईंधन
दिवस पहली बार अगस्त 2015 में पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum and Gas) द्वारा मनाया गया था।
परिचय
विश्व जैव ईंधन दिवस
को हर साल
10 अगस्त के दिन सर रूडोल्फ डीजल
की याद में मनाया जाता है। इन्होंने डीजल इंजन
बनाने का काम किया था। 8 अगस्त
साल 1893 को, सर डीजल ने पहली
बार एक यांत्रिक इंजन चलाने के लिए मूंगफली के तेल का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। इसके साथ, इस कल्पना भी एक नई उड़ान
मिली थी कि आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन
की जगह पर वनस्पति तेल का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस उपलब्धि की खुशी को मनाने और लोगों
को जागरुक के लिए, विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया
जाता है और साल 2015 से भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय इसे मना रहा है।
महत्वपूर्ण बिन्दु
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विश्व
जैव ईंधन दिवस
2022 के लिए पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों पर जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना (To promote the use of biofuel over
conventional energy resources) थीम रखी गई है।
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जैव ईंधन कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता को कम करने
की कुंजी है और यह एक स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करता है।
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इससे
ग्रामीण लोगों के लिए अधिक रोजगार का सृजन होता
है। यह कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करता है। जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन उत्सर्जन होता है और यह हमारी
वायु और पर्यावरण के लिए बहुत
हानिकारक है।
भारत में महत्वपूर्ण जैव ईंधन श्रेणियां
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बायो-एथेनॉल :चीनी युक्त
सामग्री, स्टार्च युक्त
सामग्री और सेल्यूलोसिक सामग्री बायोमास से उत्पादित इथेनॉल।
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बायो-डीजल : गैर-खाद्य वनस्पति तेलों, एसिड
तेल, प्रयुक्त खाना पकाने के तेल/पशु वसा और जैव-तेल से उत्पादित फैटी एसिड
का मिथाइल या एथिल एस्टर।
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बायो-सीएनजी : यह बायो-गैस का शुद्ध
रूप है जिसकी
ऊर्जा क्षमता और संरचना जीवाश्म आधारित प्राकृतिक गैस के समान है।